अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है भगवान बिरसा मुंडा का व्यक्तित्व – मलेठा
आज उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ द्वारा भगवान बिरसा मुंडा जयंती के उपलक्ष में जनजातीय गौरव दिवस सप्ताह के अंतर्गत विशिष्ट व्याख्यान एवं जागरूकता अभियान का आयोजन योग विभाग सभागार में किया गया।
मुख्य अतिथि जिला समाज कल्याण विकास अधिकारी टी.आर. मलेठा का कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने माला पहनकर स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर जिला समाज कल्याण विकास अधिकारी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि असाधारण व्यक्तित्व भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के एक निर्धन साधारण परिवार में हुआ था। यह वह दौर था जब जमीदारों के द्वारा मूल जनजातियों की जमीनें हड़प ली गई और अंग्रेजों ने जंगलों को सुरक्षित घोषित करते हुए जंगलों के सभी प्राकृतिक उपजों व उत्पादन पर अपना एकाधिकार कर लिया जबकि वहां की मूल जनजाति मुंडा का जीवन वनों पर ही निर्भर था।
बिरसा मुंडा ने जब अपने लोगों का ऐसा शोषण देखा तो इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी। बिरसा मुंडा ने देखा कि ईसाई मिशनरी गरीबी वह बीमारी का लाभ उठाकर वंचित समुदाय को ईसाई बनने के लिए भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने उस समय की हैजा तथा अन्य बीमारियों के समाधान के लिए आयुर्वेदिक इलाज से लोगों को ठीक करना शुरू किया।
भारत सरकार प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाती है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर 2021 को की थी। जिला समाज कल्याण विकास अधिकारी ने बताया कि हरिद्वार में विभिन्न प्रकार की जनहित की योजनाएं सरकार की तरफ से लोगों के हितार्थ संचालित की जाती हैं जिनमें वृद्ध आश्रम पेंशन ₹1000 प्रतिमाह ,विधवा पेंशन ₹1500 प्रतिमाह ,दिव्यांग पेंशन ₹1500 प्रतिमाह ,किसान पेंशन ₹1200 प्रतिमाह, आर्थिक योजना विवाह (एससी-एसटी) ₹5000 आर्थिक सहायता, बीपीएल परिवार के सदस्य की आकस्मिक मृत्यु पर ₹20000 आर्थिक सहायता, अटल आवास योजना (एससी एसटी) 1,20,000 रुपए आर्थिक सहायता इसके अलावा बोना पेंशन, परित्याग पेंशन, छात्रावास योजना, इबीसी के लिए भी योजनाएं हैं। एनएसपी पोर्टल पर लॉगिन करके छात्र इसे जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इसी कार्यक्रम के अंतर्गत एक प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ जिसमें छात्रों ने सवालों के माध्यम से जिला विकास अधिकारी से लाभकारी योजनाओं की जानकारी ली।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जीवन एक आदर्श जीवन है जो हमें विपरीत परिस्थितियों में संघर्षों का सामना करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने गलत के खिलाफ, शोषण के खिलाफ, अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों के खिलाफ, ईसाई मिशनरी द्वारा चलाए गए अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने अपने समाज, धरा, एवं जंगल की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया।
कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, प्रोफेसर दिनेश चंद चमोला मंचासीन अतिथि रहे। कार्यक्रम संयोजन प्रोफेसर अरुण मिश्रा ने किया तथा मंच संचालन डॉक्टर मीनाक्षी सिंह रावत ने किया।
कार्यक्रम में पीएचडी शोधार्थी, बीएड, योग विज्ञान विभाग, शास्त्री, आचार्य के विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।